Smart Farming vs Traditional Farming | स्मार्ट फार्मिंग क्या है और यह पारंपरिक खेती से कैसे अलग है?



हमारा देश दुनिया में कृषिप्रधान देशों में प्रमुखता से गिना जाता है. आज भी आधुनिक युग में खेती और खेती से जुड़े उद्योगों के साथ देश का बड़ा हिसा जुडा हुआ है. लेकिन आज भी हमारे देश में पारंपरिक तरीकों से ही ज्यादातर खेती की जाती है. जिसमे अधिक मेहनत, मौसम पर निर्भरता और सीमित संसाधनों के कारण किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम डिजिटल युग का हिस्सा है और अब हमारे देश में भी उन्नत तरीकों से (Smart Farming) खेती करने की शुरवात हो गयी है।

स्मार्ट फार्मिंग याने उन्नत तरीकों के साथ आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है जिससे उत्पादन क्षमता को बढाया जाता है। साथ ही शारीरिक श्रम , मौसम की निर्भरता को कम किया जा सकें और उन्नत संसाधनों के साथ उत्पादकता को अधिक बढाया जा सकें।

दुनिया के प्रगत देशों में आज के इन्टरनेट दौर में किसान इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), ड्रोन, सेंसर और डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है। यह न केवल खेती को स्मार्ट बनाती है, बल्कि किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में मदद करती है। और इसी Smart Farming की हमारे देश को भी जरूरत है।

इस लेख में हम समझेंगे कि स्मार्ट फार्मिंग क्या है, यह पारंपरिक खेती से कैसे अलग है, इसके फायदे और चुनौतियाँ क्या हैं, और हमारे देश में इसका भविष्य क्या है।

Image comparing Smart Farming and Traditional Farming
स्मार्ट फार्मिंग क्या है? (What is Smart Farming?)


स्मार्ट फार्मिंग 
(Smart Farming)  इस शब्द से ही हम समझ सकते है की यह एक उन्नत कृषि पद्धति होगी, जिसमें विभिन्न आधुनिक उपकरणों, डिजिटल तकनीकों और ऑटोमेशन का उपयोग करके खेती को अधिक प्रभावी और उन्नत बनाया जाता है।

आज का युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग का युग है, जिसे हम रोबोटिक्स युग भी कह सकते है। और इसी नई टेक्नोलॉजी का यूज़ हम खेती करने के लिए करते है जिसे हम स्मार्ट फार्मिंग कहते है। जिसमे हम कई अलग-अलग तकनीकों का उपयोग कर सकते है , जैसे

  1. IoT (Internet of Things): खेतों में लगे सेंसर मिट्टी की नमी, तापमान और अन्य पर्यावरणीय कारकों का डेटा देते हैं।
  2. ड्रोन (Drones): खेतों की निगरानी,कीटकनाशकों के छिड़काव के लिए और फसल की स्थिति जानने में मदद करते हैं।
  3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): मौजूदा फसलों के स्वास्थ्य का विश्लेषण करके किसानों को उचित सलाह देता है।
  4. सेंसर टेक्नोलॉजी: मिट्टी की नमी, मिटटी का पीएच स्तर और जमीं में मौजूद पोषण तत्वों को मापकर सटीक जानकारी देता है।
  5. मशीन लर्निंग (ML) और डेटा एनालिटिक्स: मौसम की भविष्यवाणी और फसल उत्पादन का अनुमान लगाने में सहायक।

स्मार्ट फार्मिंग जिसमे हम आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते है सच में किसानों को रीयल-टाइम डेटा प्रदान करके सटीक निर्णय लेने में मदद करती है। जैसे अब कई युवक खेती की और बढ़ रहे है उन्हें खाद, पानी और कीटनाशकों का उपयोग सही मात्रा का ज्ञान स्मार्ट फार्मिंग से ही मिल सकता है, साथ ही हम पर्यावरणपूरक खेती करके खेती की उत्पादकता को बढ़ा सकते है वो भी कम लगत में। मुझे लगता है की इस तरह से सटीक कृषि (Precision Farming) के कारण फसल की उपज और गुणवत्ता बेहतर होती है।

पारंपरिक खेती क्या है? (What is Traditional Farming?)

हम सब को पता ही है की पारंपरिक खेती वह कृषि पद्धति है जो पुराने तरीकों और अनुभव पर आधारित होती है। यह सदियों से चली आ रही है और इसमें आधुनिक तकनीकों का अधिक उपयोग नहीं किया जाता। जैसे हमारे बड़े बुजुर्ग खेती करते थे उसी तरह से हम भी करते है। इसकी विशेषताएं भी संभवतः समस्याएं ही है जैसे

  • पारंपरिक कृषि पद्धति जो पुर्णतः मानसून पर निर्भर करती है, जिसमे कई तरह के सिंचन का अभाव हमें दीखता है।
  • ये पद्धति अधिक श्रम आधारित होने के साथ खर्चीली भी होती है क्यों की मानवीय श्रम की इसमें ज्यादा जरूरत होती है जो परावलम्बी निर्भरता को बढ़ाती है।
  • हम आज देखते है की पारंपरिक खेती से मिटटी की उर्वरता काफी कम की है इसका प्रमुख कारन है की पिछले पचास सालों में रासायनिक खाद को काफी ज्यादा तवज्जो दिया गया है। इससे उत्पादकता में काफी कमी आ गयी है।
  • पारंपरिक खेती में पानी की अधिक खपत होती है जो की कई बार अनावश्यक होती है, जिस से जल संसाधनों की बर्बादी होती है।
  • इसलिए मुझे लगता है , या सभी किसानों को लगता है की जितनी मेहनत किसान की होती है उतना फायदा उसे नही मिल पाता।


स्मार्ट फार्मिंग और पारंपरिक खेती में अंतर

विशेषता स्मार्ट फार्मिंग पारंपरिक खेती
डाटा उपयोग सेंसर, AI, डेटा एनालिटिक्स का उपयोग अनुमान और अनुभव पर आधारित
संसाधन प्रबंधन जल, खाद, बीज का सटीक उपयोग अधिक संसाधन बर्बादी
उत्पादन क्षमता अधिक उपज और गुणवत्ता कम उत्पादन और अधिक श्रम
खर्च और लागत शुरुआत में अधिक लागत, लेकिन बाद में बचत कम शुरुआती लागत, लेकिन ज्यादा श्रम खर्च
तकनीकी उपयोग IoT, ड्रोन, मशीन लर्निंग, सेंसर आधारित खेती बैल-हल, सिंचाई के पारंपरिक तरीके

स्मार्ट फार्मिंग के लाभ (Advantages of Smart Farming)

  • पानी और खाद की बचत: सेंसर टेक्नोलॉजी से सिर्फ जरूरत के अनुसार सिंचाई और खाद का उपयोग होता है।
  • उत्पादन बढ़ाने में सहायक: फसल की सही देखभाल और डेटा-आधारित निर्णय से अधिक उपज प्राप्त होती है।
  • खेती में जोखिम कम करता है: मौसम पूर्वानुमान और कीटों की निगरानी से फसल खराब होने की संभावना कम होती है।
  • फसल की निगरानी आसान बनाता है: ड्रोन और सेंसर की मदद से किसान कहीं से भी अपने खेत की स्थिति देख सकते हैं।
  • कम लागत में अधिक मुनाफा: सही मात्रा में संसाधनों के उपयोग से खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।

स्मार्ट फार्मिंग की चुनौतियाँ (Challenges of Smart Farming)


हां ये भी सही है की आज भी अपने देश में स्मार्ट फार्मिंग के लिए कई चुनौतिया है, जैसे

उच्च प्रारंभिक लागत: हमारे देश में ज्यादातर किसानों की आय काफी कम है, और इन नई तकनीकों को अपनाने में शुरुआती निवेश ज्यादा होता है।

तकनीकी ज्ञान की कमी: साथ ही हमारे देश में किसानों का एक बड़ें वर्ग को डिजिटल खेती को समझना मुश्किल हो सकता है। 

इंटरनेट और बिजली पर निर्भरता: दूर-दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली की समस्या हो सकती है।कृषि उपकरणों की कीमत: सेंसर, ड्रोन और ऑटोमेटेड सिस्टम महंगे होते हैं।

यही कारण है की हमारे देश में स्मार्ट फार्मिंग को उतना बढ़ावा नही मिल रहा है जितना हमे मिलना चाहिए।

हमारे देश में स्मार्ट फार्मिंग का भविष्य


भारत सरकार स्मार्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही है, जैसे कि डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, PM-KISAN और किसान ड्रोन योजना

स्टार्टअप्स और कृषि टेक कंपनियाँ नई तकनीकों को विकसित कर रही हैं, जिससे छोटे किसानों के लिए यह सुलभ हो सके।डिजिटल इंडिया और 5G तकनीक के कारण स्मार्ट फार्मिंग को अपनाना और आसान हो जाएगा।

निष्कर्ष 

स्मार्ट फार्मिंग (Smart Farming) भारतीय कृषि का भविष्य है। यह खेती को अधिक वैज्ञानिक, डेटा-आधारित और कुशल बनाता है। हालाँकि, इसे अपनाने में कुछ चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार, स्टार्टअप्स और किसानों के सहयोग से इसे सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है।अगर किसान स्मार्ट फार्मिंग अपनाते हैं, तो वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं और अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं। पारंपरिक खेती और स्मार्ट फार्मिंग के बीच का अंतर यही दिखाता है कि आने वाले समय में स्मार्ट फार्मिंग एक नई क्रांति लाने वाली है।


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